डरो नही अजनबी!! तुम जो भी हो..मै तुम्हे सिर्फ शुक्रिया कहना चाहती हूँ 🙂
तुम मुझे खुशी देते हो.. क्यों कि तुम एक जादुई अंक मे हर दिन इजाफा करते हो…
अक्सर ये अंक मेरी दो पोस्ट के बीच १०० अंक तक बढ जाता है..
तुम मुझे लिखने का हौसला दिलाते रह्ते हो.:) लगता है कोई तो है जो ये पढेगा..
जब मै नया नही भी लिखती तब भी तुम मेरे “एतिहासिक” पन्ने( अरे!! अब जो गुजर गया है, वो एतिहासिक ही हुआ ना? 🙂 ) पढते हो!
अजनबी! ( इस चिट्ठे के वे पाठक जो यहाँ से पढकर चले जाते हैं, बिना टिप्पणी किये..एसा होता है! मुझे पता है! )
शुक्रिया इन सारी बातों के लिये…
आया करो मुझे ये अहसास दिलाने के लिये कि …रहें ना रहें हम..महका करेंगे.….:)
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दरअसल अभी जब मै नया कुछ नही लिख रही हूँ, तो मुझे अन्य चिट्ठे पढकर टिप्पणी करनी चाहिये….. लेकिन मै इन दिनो, वो “राइटर्स ब्लॉक” किस्म की बीमारी “रीडर्स ब्लॉक” और उससे भी ज्यादा ” कमेंटर्स ब्लॉक” से जूझ रही हूँ. 🙂 मै कई चिट्ठों पर गई लेकिन यूँ ही वापस लौट आई.टिप्पणी करने मे मजा नही आता जब पढकर एकदम “दिल से!” कुछ कहने को मन न करे..
इन बीमारियों से निजात पाते ही आती हूँ आपके चिट्ठे पर :).
चिट्ठों से पूरी तरह से दूर रह पाना मुश्किल सा लगता है 🙂
कभी कभी हमे एसे कुछ पढने को मिल जाता है मानो हमारे ही विचारों को किसी ने शब्द दे दिये हों..या कभी टिप्पणी मे कोई ठीक वही कह देता है, जो हम सुनना चाह्ते हैं…
..ये चिट्ठों की अनोखी दुनिया है जो कभी कभी “अपनो की, अपनो के द्वारा, अपनो के लिये” किस्म की लगती है…….