जो बीत गई वो बात गई,
जो कल होगा वो सपना है,
आज जो मेरे साथ चल रहा, उतना ही बस अपना है!
मित्र मिलेगे, फ़िर बिछडेंगे,
भीड जमेगी, फ़िर बिखरेगी,
एकाकीपन साथ जो मेरे,उतना ही बस अपना है!
कुछ कामो मे सफ़ल हुए तो,
कोइ काम विफ़ल भी होगे!
फ़िर कोशिश करने का साहस,उतना ही बस अपना है! “
जो जोडा है, वो छूटेगा
दीवारो का घर टूटेगा,
खुला आसमां, हवा और् पानी, उतना ही बस अपना है…
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