हां जी हां!! जानती हूं कि आज मित्रता दिवस नही है, लेकिन दोस्त और दोस्ती एक दिन के लिये तो नही होती ना! बल्कि हमेशा के लिये होती है तो आज कुछ पन्क्तियां दोस्त और दोस्ती के लिये…
” उलझन मे हूं, या दुख मे मै,
दोस्त है मेरा, फ़िक्र करेगा!
दूर है फ़िर भी भूलेगा ना,
कभी तो मेरा जिक्र करेगा! ”
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” दुनिया में कहीं भी होता हो मगर,
दोस्त का घर दूर कहाँ होता है!
जब भी चाहूँ आवाज लगा लेता हूँ,
वो मेरे दिल मे छुपा होता है!
जाने कैसे वो दर्द मेरा जान लेता है,
दुखों पे मेरे वो भी कहीं रोता है!”
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“यूं तो कहने को परिवार, रिश्तेदार साथ हैं, जिन्दगी बिताने को,
फ़िर भी एक दोस्त चाहिये, दिल की कहने- सुनने, बतियाने को!! ”
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” हर कोई ऐसा एक मित्र पाए,
जो बातें सुनते थके नही,
और मौन को भी जो पढ जाए!! ”
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” पुराने दोस्त और दोस्ती हमारे पुराने गांव की तरह होते हैं.. बरसों बाद जब हम फ़िर उनसे मिलते हैं तो कुछ बदल जाते हैं, लेकिन बहुत कुछ पहले की तरह ही होते हैं.. ”
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** और अब कुछ पन्क्तियां और, जो किसी मित्र से ही कही जा सकती है.:) किसी बात पर मैने अपने मित्र से कही थी….
” आत्म ज्ञान से इतना भी तृप्त मत हो जाइये कि और कुछ जानने कि ख्वाहिश ही न रहे,
गर्व से इतना भी मत बिगड़ जाईये कि सुधार की गुंजाइश ही न रहे!! ”
” ज्ञानी होने ( दिखने) के चक्कर मे जमाना tense बहुत है,
हम तो कहेंगे,
सबसे उपर रहने के लिये common sense बहुत है!! ”
” किसी की बात समझ न सको तो इतना न बौखलाइये!
बेहतर है आप अपनी समझ को समझाइये!! ”
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