इस दुनिया मे इन्सानों के रंग न जाने कितने हैं,
उनके जीवन , व्यवहारों के ढ़ंग न जाने कितने हैं.
अपनी अपनी मन्जिल सबकी, अपनी अपनी सबकी राहें,
गिनती को तो है लोग बहुत, पर संग न जाने कितने हैं.
कुछ के सपने सच हो जाते, कुछ अपने सुख को पा जाते,
पर अपनी रूठी किस्मत से दंग न जाने कितने हैं.
छोटी छोटी बातों मे उलझ, मारा मारी करते फ़िरते,
उठा पटक, सीनाजोरी, हुड़दंग न जाने कितने हैं.
है श्वेत रंग शांति का जो, उसकी दिखती अब कमतरता,
हुए लाल क्रोध से जो , बदरंग न जाने कितने हैं.
न जाने कितने हैं…

छोटी सी बात …
किसी की बात समझ न सके, तो हम ज्यादा न बौखलाएं,
बेहतर है कि हम अपनी समझ को समझाएं !
चुप रहना भी कोइ बुरी बात नही ,
कुछ भी कहकर बात का मज़ाक न बनाएं !
किसी का दुख बांट कर कम न कर सकें, न सही,
कम से कम उसे और न बढाएं !

गुरु …….
जिसके बल पर हम सफ़ल हुए, वो सब ज्ञान गुरु का है.
है ईश्वर से भी बढ़्कर जो, वो सम्मान गुरु का है.
सच का साथ नही देता और झूठ की राह जो चलता है,
मेरा शिष्य नही होगा , ये अभिमान गुरु का है.
जीवन मे सफ़लता पा करके, जब शिष्य उन्हे न याद करे,
फ़िर भी उसे अच्छा ही कहे, वो ईमान गुरु का है.
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समय…………
वो सामयिक था, ये असमय है,
एक वो भी समय था, एक ये भी समय है!
तब आई थी, अब जाना है,
एक वो भी समय था, एक ये भी समय है!
तब पाया था, अब खोना है,
एक वो भी समय था, एक ये भी समय है!
तब खुशियां थीं, अब रोना है,
एक वो भी समय था, एक ये भी समय है!
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औरत……
होती बेटी, मां की गोद मे,
वो औरत नादानी सी है.
समझ न पाया कोई जिसको,
वो औरत हैरानी सी है.
खुद के दम पर जग को बदले
वो औरत पहचानी सी है.
थोड़ा पाने, जिस्म लुटाती,
वो औरत जिस्मानी सी है.
भक्ति मे गुम मीरा होती,
वो औरत रूहानी सी है.
छल ना समझे, प्यार लुटाती,
वो औरत दीवानी सी है.
जिस्म लुटा के प्यार न पाए,
वो औरत वीरानी सी है.
झूठी रूठे, सजन सताए,
वो औरत शैतानी सी है.
जीवन भर, दे, कुछ ना चाहे,
वो औरत कुर्बानी सी है.
थक जाए और हार के बैठे,
वो औरत अनजानी सी है.
हारे ना, साहस दिखलाए,
वो औरत पहचानी सी है.
किस्सा जिसका खत्म ही ना हो,
औरत लम्बी कहानी सी है.
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