तुम अब भी जीती हो……..

कई महीनो बाद, अब भी तुम मेरे लिये नही बीती हो,
मेरे साथ, मेरे अन्दर तुम अब भी जीती हो….

कहते हैं, तुम्हे भूल जाऊँ, तुम मेरा बीता हुआ कल हो,
लेकिन तुम तो मेरे हर आज मे, हर पल हो…

कई दिन हुए, आओ कुछ बतियाएँ
थोडा सा हँसे, जरा सा मुस्कुराएँ…

मुझे नही पता, तुम सुन पाओगी या नही…
फिर भी बताना चाहती हूँ.
तुम्हारे लिये अपना प्यार जताना चाहती हूँ…

तुम बहुत दूर हो कहीं, फिर भी मेरे पास हो!
दिख नही पाती लेकिन एक अहसास हो!

तुममे था मेरा तन और मन!
तुम मेरा सुन्दर सृजन!!

हम दोनो बहुत कुछ एक से, थोडे से असमान!
तुम एकदम सीधी साधी और मै शैतान!!

फोन की घन्टी सुन तुम कहती-
“मुझे ‘भाभी जी’ बना देते हैं!, आप ही उठाओ”!
मै कह्ती-
“हाँ रे!! और मुझे कहेंगे बेटा अपने पापा को बुलाओ”!!

ऐसा दुनिया मे शायद कम ही होता होगा,
कि कोई माँ अपनी बेटी की चोटी खींचे,
या चुपके से आकर आँखें मीचे!

तुम परेशान होकर कहती-
ओह्!! तँग मत किया करो!
मेरी माँ जैसी रहा करो!

कभी मै कह्ती-
“मुझे भी तुम्हारे साथ कॉलेज जाना है!
ये सीखना है, वो पढना है!!”
तुम कह्ती-
हाँ! हाँ! क्यों नही?
“तुम अब भी पढ सकती हो!
मेरी माँ जो हो! सब कर सकती हो!!”

..वो भी क्या मजे मजे के दिन थे!
हँसते मुस्कुराते पल-छिन थे!

तुम मेरी इतनी ही हम-कदम थी..
शायद तुम्हारे पास साँसें कुछ कम थीं…

यूँ तो दुनिया मे अब भी बहुत कुछ है..
लेकिन वो बहुत कुछ भी बहुत कम है!
बहुत सी बातें अधूरी और अव्यक्त रह गयीं,
यही एक गम है…

दिमाग का एक कोना जल कर राख हो गया है,
दिल मे एक गहरा सुराख हो गया है…

तुम्हारे बाद ये दुनिया बिल्कुल नई है..
जिन्दगी जाने कहाँ खो गयी है…

जाने क्यों हमारे बीच वो मनहूस घडी आई..
पता नही क्या गलत था,
मेरे कर्म या हाथ की लकीरें,
मै कभी समझ ही नही पाई…..

 
खैर अब जाने दो..

 

जहाँ भी हो खुश हो जाओ!!
आँसू पोछो और जरा सा मुस्कुराओ!!
बहुत बात और रात हुई,
अब सो जाओ!!!
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Published in: on जून 20, 2008 at 12:56 अपराह्न  Comments (16)