वैसे तो करने के लिये बहुत काम होते हैं, लेकिन फ़िर भी कभी कभी कुछ भी करने का मन नही करता और् ऐसे ही फ़ालतू समय मे कुछ अच्छे काम हो जाते है..
ऐसे ही एक दिन जब बेटी को ये भी नही करना, वो भी नही करना था तब मैने उसे चित्रकारी करने को कहा और कुछ देर बाद वो जो बना कर लाई, वो ये था—
ऐसी ही एक बोर दोपहर उसने ये भी बनाया था—-
पिछले दिनो मेरी रंगोली सबको पसंद आई थी और् गरिमा ने ऒन लाइन क्लास लेने के लिये कहा..उसने पूछा कि मुझे इतने “क्रिएटिव आयडिआ” आते कहां से हैं..ऐसा मुझे ब्लॊग मित्रो ने पहले भी पूछा था ( मेरी हिन्दी चिठ्ठों वाली और विज्ञापन वाली पोस्ट को क्रिएटिव कहा गया था!) तो मैने कोशिश की खोजने की और निष्कर्ष देखिये -:)
क्रिएटिव होने के लिये आपको-
१. थोडा सा गैर अनुशासित होना पडेगा, यानि कि आपके पास् जरा सा बिना काम का फ़ालतू वक्त होना चाहिये !( एसा कहते मैने एक मशहूर गीतकार और् विज्ञापन लेखक को सुना है कि सबसे बेहतर आइडिया तब दिमाग मे आते हैं जब आप उसके बारे मे सोच नही रहे होते यानि अचानक आ जाते हैं!)
२. थोड़ा सा उतावलापन यानि “क्रेजी” होना चाहिये.!
३. जब तक संभव हो बिना ’क्लास’ लगाये अपने आप सीखने की कोशिश करें..मेरा ऐसा मानना है कि अगर आप ’ट्रेनिंग’ लेते है तो ’अब्सोल्यूटली ओरिजिनल’ नही रह पाते है! यानि जो चीज पसंद आई उसका सामान जमा किया और् ’ट्रायल और एरर’ के तहत सीखिये.!
और इस सबके साथ ही हर जगह जरा सा ’आर्टिस्टिक टच’ जरूरी है 🙂
इन बातो के बाद मैने बातचीत वाली खिडकी मे ही उपलब्ध एक टूल का उपयोग कर थोडी आडी तिरछी रेखाएं खींच कर बताई इस् तरह — ( जो गरिमा के कहने पर यहां लगा दे रही हूं! 🙂
और् अन्त मे ये देखिये मोम के फ़ूल! ये भी हमने बनाये है 🙂 इनके बारे मे फ़िर कभी..