हां जी हां!! जानती हूं कि आज मित्रता दिवस नही है, लेकिन दोस्त और दोस्ती एक दिन के लिये तो नही होती ना! बल्कि हमेशा के लिये होती है तो आज कुछ पन्क्तियां दोस्त और दोस्ती के लिये…
” उलझन मे हूं, या दुख मे मै,
दोस्त है मेरा, फ़िक्र करेगा!
दूर है फ़िर भी भूलेगा ना,
कभी तो मेरा जिक्र करेगा! ”
————
” दुनिया में कहीं भी होता हो मगर,
दोस्त का घर दूर कहाँ होता है!
जब भी चाहूँ आवाज लगा लेता हूँ,
वो मेरे दिल मे छुपा होता है!
जाने कैसे वो दर्द मेरा जान लेता है,
दुखों पे मेरे वो भी कहीं रोता है!”
—————–
“यूं तो कहने को परिवार, रिश्तेदार साथ हैं, जिन्दगी बिताने को,
फ़िर भी एक दोस्त चाहिये, दिल की कहने- सुनने, बतियाने को!! ”
——————-
” हर कोई ऐसा एक मित्र पाए,
जो बातें सुनते थके नही,
और मौन को भी जो पढ जाए!! ”
———————
” पुराने दोस्त और दोस्ती हमारे पुराने गांव की तरह होते हैं.. बरसों बाद जब हम फ़िर उनसे मिलते हैं तो कुछ बदल जाते हैं, लेकिन बहुत कुछ पहले की तरह ही होते हैं.. ”
———-
** और अब कुछ पन्क्तियां और, जो किसी मित्र से ही कही जा सकती है.:) किसी बात पर मैने अपने मित्र से कही थी….
” आत्म ज्ञान से इतना भी तृप्त मत हो जाइये कि और कुछ जानने कि ख्वाहिश ही न रहे,
गर्व से इतना भी मत बिगड़ जाईये कि सुधार की गुंजाइश ही न रहे!! ”
” ज्ञानी होने ( दिखने) के चक्कर मे जमाना tense बहुत है,
हम तो कहेंगे,
सबसे उपर रहने के लिये common sense बहुत है!! ”
” किसी की बात समझ न सको तो इतना न बौखलाइये!
बेहतर है आप अपनी समझ को समझाइये!! ”
———————
Priya sakhi Rachana ji…
aapki kavita waqai jhanjodne wali aur dost ke liye pyaar aur mohabbat se bhari nazar aayee…
bahut nek aur sahi baat kahi hai …aaj bhi bahuton ko mitra, dost hone ka tarika maloom nahi hai ya phir oonki apeksha dost ki paribhasha se bahut dur rehati hai…ye ek sahi anubhav hai sabhi ke liye…
dheron daad kabool farmayein
aur likhti rahein…iske liye koi khas divas nahi hota 😉
Khush rahein
Dawn
waha kya kavita likhhi h aapny…..
aap ki kavita wakehi dosto ki yaad dilati hai, sat hi padte time dosto ke sat bitaye huye lamhe ko yaad diladeti hai,
nice
बहुत अच्छा लग रहा है आपकी पोस्ट लगातार आते देखना। 🙂
” उलझन मे हूं, या दुख मे मै,
दोस्त है मेरा, फ़िक्र करेगा!
दूर है फ़िर भी भूलेगा ना,
कभी तो मेरा जिक्र करेगा! “
इसे पढ़कर मुझे वली असी का यह शेर याद आ गया:
मैं तुझ भूल भी जाऊं लेकिन
तू मेरी फ़िक्र से आजाद नहीं हो सकता
ये क्या आपने हमको भी ध्यान में रखते लिखा है?
” ज्ञानी होने ( दिखने) के चक्कर मे जमाना tense बहुत है,
हम तो कहेंगे,
सबसे उपर रहने के लिये common sense बहुत है!! “ ऐसा इसलिये लिखा कि कामनसेंस का टोटा इधर भी है।
बहुत अच्छा है। लिखतीं रहें नियमित! 🙂
dost bahut pyare hote he meri zindgi ko dost ne savara he
kisi bhi problem me he any time koi bhi problem call me 09827921818
Very nice
aaj hi ye post padh
और मौन को भी जो पढ जाए!!
hmm ye to sahi kaha aapne
dusro se to har koi lena chahata h lekin jo dusro ke liye kare or khud kuch na chahe vo h dosti.
बहुत शुक्रिया दोस्तों ! 🙂
welcome
apne liye to sab jete he lakin jo dosti me sub kuch kurban kar de vo sachhe dosti he.or hamesha dosto ki madad kare.vo dosti he.vo dosti nahi he jo apne bhale ke liye.dosto ke bare me kuch na soche.
TAHIR KHAN(MEERUT)
armano ki sej par dosti ne karwat li hai
aap ke dost ne aap ko ye kasam di hai
juda ho ke bhi juda na hona
warna log kahenge
ek dil ne dhadkan ki jan li hai
kuch khoye bina hamne paya hai
kuch mange bina hame mila hai
naj hai hame apni takdir par
jishne aap jyse dost se milaya hai
dil ko kharidne wale hajar mil jaynge
aap ko daga dene wale bar bar mil jayenge
milega na aap ko ham jaesa koi
milne ko to dost besumar mil jayenge
hai dosto mera nam kishor raja hai
aatm gyan se etna ….. very good
agr kisi pr bhrosa kro to aakhir tak kro aant mai aapko ek sacha ‘DOST’ milega ya firek ‘SABAK’HR SUTHAR 2.dosti ko pana hr kisi ke naseb ma nhi hota, aasman ko chuna hr kisi ki kismat ma nhi hota, na koi aasma dekhta ha or na koi dosti is jnha mai to yaaro sub aasma ma ‘BADAL, or dosti ma ‘BADAN’ dekhte hai (its true)i like your story and i pree my god you are best friend for friendship sorry for the true line
agr kisi pr bhrosa kro to aakhir tak kro aant mai aapko ek sacha ‘DOST’ milega ya firek ‘SABAK’HR SUTHAR 2.dosti ko pana hr kisi ke naseb ma nhi hota, aasman ko chuna hr kisi ki kismat ma nhi hota, na koi aasma dekhta ha or na koi dosti is jnha mai to yaaro sub aasma ma ‘BADAL, or dosti ma ‘BADAN’ dekhte hai (its true)i like your story and i pree my god you are best friend for friendship sorry for the true line HR SUTAR PHALODI
बहुत अच्छा लखिते हो……….. आपकी कुछ पक्तियां मैंने अपने दोस्त को भेजी है, इसके लिए क्षमा क्योकि कि वो केवल आपकी पक्तियां थी…. लेकिन मुझे बहुत अच्छी लगी इस लिए अपने दोस्त से सैयर करने का मन कियाा धन्यवाद यूंिह लखिते रहीए ताकि हमें ऐसी ही अच्छी अच्छी पक्तिया मिलती रहे
बहुत अच्छा लखिते हो……….. आपकी कुछ पक्तियां मैंने अपने दोस्त को भेजी है, इसके लिए क्षमा क्योकि कि वो केवल आपकी पक्तियां थी…. लेकिन मुझे बहुत अच्छी लगी इस लिए अपने दोस्त से सैयर करने का मन कियाा धन्यवाद यूंिह लखिते रहीए ताकि हमें ऐसी ही अच्छी अच्छी पक्तिया मिलती रहे
आपने मित्रता को लेकर बहुत अच्छी कविता लिखा है ।मै तुम्हारा दोस्त बन गया ।
मैने भी तुम्हारे द्वारा लिखे कविता के कुछ लाईने मैने अपने दोस्तो को भेजा है ।मै भी तुम्हारे लिये कुछ लाईन लिखता हूँ मित्रता एक ऐसा बंधन है जोलोगों के मनों को जोड़ता है, यह एक ऐसा बंधन है जो कि सामाजिक रूप से हम पर थोपा नहीं जाता ! ये एक ऐसा रिश्ता है जो अन्य रिश्तों की भांति बाध्य नहीं, जैसे भाई – भाई का रिश्ता, भाई – बहिन का रिश्ता या कोई अन्य रिश्ता जो सामाजिक बंधनोंसे उत्पन्न होता है ! मित्रता इंसान खुद अपने विवेक से और अपने दिल से करता है, इसलिए ये रिश्ता ज्यादा गहरा होता है !! आज इस अवसर पर मैं सोचने बैठातो मुझे अपने अतीत के झरोखे से अपने एक ऐसे ही मित्र की याद आई, और उसी मित्र से जुडी एक अनोखी घटना भी याद आई जो आप सबकेसामने प्रस्तुत कर रहा हूँ !बात उन दिनों की है जब मैंकिशोर था, मुझे क्रिकेट काबचपन से ही शौक था, और अपने मोहल्ले के क्रिकेट क्लब का मैं बहुत ही महत्त्वपूर्ण खिलाडी हुआ करता था, मैं किसी भी हालतमैं अपनी टीम को जीतते हुएदेखना चाहता था उसके लिए मैं पूरे मनोयोग से खेलता था, मेरे खेल की बजह से पूरी टीम मैं मेरी धाक हुआकरती थी ! सभी खिलाड़ी मेरेखेल के खासे प्रशंशक थे !हम सभी आपस मैं बहुत अच्छेमित्र हुआ करते थे, मगर उनमें से मेरा एक मित्र मेरा बहुत ही ख़ास था, हम दोनों बचपन से जबसे मैंने होश संभाला तबसे एक साथ हीसमय गुजारते थे, स्कूल मैंभी हम दोनों एक ही कक्षा मैं पढ़ते थे, यदि एक दिन भी हम एक दूसरे से न मिलेंतो बहुत ही खालीपन सा महसूस होता था ! कहने का तात्पर्य ये की उस समय उसके बिना मेरी जिन्दगी कुछ नहीं थी!
एक दिन एक टूर्नामेंट मैं हमारी टीम एक मैच खेल रही थी, मैच बहुत ही महत्त्वपूर्ण था,था, सामने बाली टीम की बल्लेबाजी हो चुकी थी, अब हम लोग बल्लेबाजी कर रहे थे, मगर हमारी स्तिथि कुछ ज्यादा अच्छी नहीं थी, मैं क्रीज पर जमा हुआ था, हमारे ऊपर के अच्छे बल्लेबाज आउट हो चुके थे,, अब मेरा वही ख़ासमित्र बल्लेबाजी करने उतरा मैंने उसके कंधे पर हाथ रखकर उसे समझाया की तुम आराम से खेलना हम दोनों मिलकर मैच जितवा देंगे, वेह भी मेरी अंत तकन हारने की आदत से बाकिफ था, उसने सहमति जताई, धीरे – धीरे हम दोनों रन बनाते रहे आगे बढ़ते रहे, मैं मनमैं ठान चुका था की आज का मैच जीत कर ही बापस जाऊंगा! मगर क्रिकेट खेल ऐसा है जिसपर किसी का वश नहीं चलता, खिलाडी कुछ नहीं होता खेल सबसे ऊपर होता है, और यहाँ भी क्रिकेट नेअपना खेल दिखाया, मेरे दोस्त ने एक शोट खेला वहांपर 1 रन हो सकता था मैं रनलेने के लिए भागा, किन्तु फील्डर की अच्छी फील्डिंगदेखकर मेरा मित्र रन नहीं भागा, मैं काफी दूर निकल आया था फील्डर ने थ्रो गेंदबाज को दिया उसने मुझे रन आउट कर दिया ! मैं अपना धैर्य खो चुका था, मुझे अपने मित्र पर बहुत क्रोध आ रहा था, मैंने उसकी ओर देखकर चिल्ला कर कहा ” ये रन नहीं था क्या? दौड़ा क्यों नहीं ? पैरोंमैं मेहँदी लगा कर आये हो क्या साले ? और भी न जाने क्या – क्या बकता जा रहा था, वेह अवाक मुझे देख रहाथा ! अब साले खुद भी आउट होकर मैच हरवा कर चले आना ! ये कहकर मैंने गुस्से मैं अपना बल्ला उसी के सामने पिट्च पर फ़ेंक दिया , और अनाप-शनाप बकता हुआ चला आया ! दूसरी टीम के सारे खिलाड़ी मेरे गुस्से और मेरे मित्र की बेबसी देख कर मुस्कुरा रहे थे !
हमारी टीम का अगला खिलाड़ी तब तक फील्ड मैं पहुँच चुका था, जो काफी समझदार था वेह विना बल्ला लिए ही अन्दर पहुंचा और मेरे फेंके बल्ले को उठा लिया, और मेरे मित्र के कंधे पर हाथ रखकर कहा, NVER MIND उसने बल्ला इसलिए यहाँ छोड़ा क्योंकि मैंने इसी बल्ले से खेलने की मंशा जाहिर की थी ! यहाँ जैसे ही मैं फील्ड से बहारआया मेरे कप्तान ने मुझे बहुत लताड़ा, यार ये कैसा व्यवहार कर रहे थे फील्ड मैं, तुम्हे ऐसा नहीं करना चाहिए था ! हालांकि क्लब स्तर पर कोई अनुशाशन समिति नहीं होती मगर खेल एक ऐसी चीज है, जो इंसान को खुद ही अनुशाषित करती है!अब तक मेरा गुस्सा भी कुछ कम हो चुका था, और मैं कप्तान कि बातों पर कुछ भीनहीं कह रहा था, सिर्फ सुनरहा था, क्योंकि अब मुझे भी अपनी गलती का एहसास हो रहा था, कि शायद मैंने आज कुछ ज्यादा ही जेहर उगल दिया ! खैर मैच आगे बढ़ा न जाने क्यों मेरे दोस्त ने मेरी बातों को चुनौती के रूप मैं लिया और उसने उस दिन ऐसी बल्लेबाजी की जैसी उसने कभी नहीं की थी! और उसने हमें वेह मैच जितवा दिया !जीत के साथ ही हम सब उससे लिपट गए, और मैं उसमें सबसे आगे था, मगर न जाने क्यों वेह आज मुझे क्यों गले नहीं लगाना चाहता था, उसने अपनेआपको जल्दी से मुझसे अलग किया और खिलाडियों के साथ ख़ुशी मनाने लगा !मैच ख़तम होने के बाद हम सब ख़ुशी – ख़ुशी अपने घर वापस चल दिए! टूर्नामेंट मैं हमें अभी आगे भी महत्तवपूर्ण मैच खेलने थे, सो हम लोगों ने शाम के अभ्यास करने का फैसला किया ! अभ्यास मैं हम दोनों साथ – साथ ही जाया करते थे, और हमेशा कि तरह मैं उसके घर पहुंचा उसे लेने के लिए मगर उसकी मा ने बताया कि वेह घर पर नहीं है !! मैं अकेला ही मैदान पहुँच गया, ये बात मैंने अपने कप्तान को जाकर बताई, तो उसने कहा किकहीं गया होगा इसलिए नहीं आ सका ! हमारा अगला मैच जो कि सेमी फायनल था ३ दिन बाद था ! और हम उसे किसी भीकीमत पर जीतना चाहते थे, उस दिन मेरे मित्र के न आने कि बजह से मेरा मन अभ्यास मैं बिलकुल नहीं लग रहा था !
भ्यास ख़तम करने के बाद मैं अपनी आदतानुसार फिर अपने मित्रके यहाँ पहुंचा, हम दोनों शाम हमेशा एक साथ ही गुजारा करते थे ! मगर आज उसने बहाना बनाकर मुझे टाल दिया बोला, आज मेरी तबियत कुछ ख़राब है, इसलिएमैं नहीं जा सकता तुम अकेले ही चले जाओ ! मुझे लगा कि वेह मुझसे कुछ कट सा रहा है, मैं चुपचाप वापस चला आया मगर मेरा मन बड़ा ही व्यतिथ हो रहा था!अगली सुबह अभ्यास मैं मेरा मित्र फिर नहीं आया, कप्तान ने मुझे बताया कि वेह मेरा पास आया था, और उसने कहा कि वेह अगला मैच नहीं खेल पायेगे उसे किसी जरुरी काम से बाहर जाना है! मैंने कहा ऐसा कौन सा काम है जो वेह मैच नहीं खेल रहा और बाहर जा रहा है, और मुझे बताया भी नहीं! यही कुछ सवाल लेकर मैं, उसके घर पहुंचा!मैंने आंटी से मित्र के बारे मैंपूछा कहाँ है, आंटी वेह बहार जा रहा है, ऐसा क्या काम आ गया ? नहीं, बेटा मुझे तो नहीं मालूम वेह कहाँ जा रहा है, दो दिन से कुछ खोया – खोया सा है ! ठीक से खा भी नहीं रहा है! और आज उसने मुझसे कहा कि टीम का कोई खिलाड़ी आये तो कहना मैं घर मैं नहीं हूँ ।और ख़ास तौर से कहा है किअगर सचिन आये तो मा बिलकुलभी नहीं बताना कि मैं घर मैं हूँ ! क्या बात है बेटा, तुम्हारे बीच कोई बात हुई है क्या ? या फिर खेल मैं उसे कहीं चोट तो नहीं लगी ? चोट लगी हैं आंटी, बहुत गहरी चोट लगी है! मुझे समझते देर नहीं लगी कि आखिर बात क्या है ! मैं दौड़कर उसकी छत पर पहुंचा,, जहाँ वेह चुपचाप उदास सा बैठा हुआ था ! क्यों बे अभ्यास मैं क्यों नहीं, आ रहा ? और तू कहाँ जा रहा है, अगला मैच नहीं खेलेगा, कप्तान ने मुझे बताया ! ऐसे कई सवाल मैंने उससे कर दिए ! शायद वेह इनका जवाव नहीं देना चाहता था, किन्तु आखिर वेहअपने आप को नहीं रोक सका!बोला तूने मुझे उस दिन मुझे इतना भला बुरा क्यों कहा ? मैं चाह कर भी तेरी बातें भूल नहीं पा रहा हूँ, तू अपने आप को मेरा सबसे अच्छा दोस्त कहता है,दोस्त के साथ कोई ऐसा सलूककरता है ? तू मेरा दोस्त नहीं है ! मैं तेरे साथ अब कभी नहीं खेलूँगा, न ही कभी तुझसे मिलूँगा ! आज सेभाड़ मैं गई तेरी झूटी दोस्ती और भाड़ मैं गया तू!साले गुस्से मैं तू सब कुछ भूल गया ! सारे खिलाड़ी मुझ पर हंस रहे थे,तेरी बजह से ! मैं चुपचाप उसकी बाते सुनता रहा क्योंकि गलती तो मैंने कि थी, और अब बारी उस गलती को सुधारने कि थी !
उसके चुप होने के बाद मैंने अपनी बात शुरू की ”अबे तू उस बात पर अब तक नाराज़ है, यार मैं उस बात के लिए तुझसे माफ़ी मांगता हूँ, तू कहेगा तो सारी टीमके सामने माफ़ी मांग लूँगा! मगर इस बात को लेकर तू इतना दुखी मत हो यार, यार मैदान मैं मैं एक खिलाड़ी था, और उस वक्त जो कुछ कहा उस खिलाड़ी ने कहा तुम्हारे दोस्त ने नहीं !क्या तुम्हारी गलती नहीं थी ? मैं मैच जितवाना चाहता था यार ! मैंने जो भी किया एक खिलाड़ी के तौर पर किया न की दोस्त के तौरपर, और उस बात के लिए मुझे अफ़सोस भी है ! तुमने ऐसा क्यों सोच लिया की मैं तुम्हारा दोस्त नहीं हूँ, तू मेरा सबसे अच्छा दोस्त था, और रहेगा ! तूने कहा कीतू मेरे साथ नहीं खेल सकता, तो आज से मैं भी क्रिकेट खेलना छोड़ता हूँ, उस खेल का क्या फ़ायदा जो दोस्त दो ही जुदा कर दे ! मेरी बातें मेरे दोस्त की कुछ- कुछ समझ मैं आ रहीं थीं ! मैंने उससे अपने व्यवहार पर फिर माफ़ी मांगी और उससे बिदा ली ! वेह जानता था मैं जिद्दी हूँ मैंने भी दूसरे दिन सेक्रिकेट न खेलने का फैसला लिया !हम दोनों को अभ्यासमैं न पाकर कप्तान का माथाफिर गया, उसने हम दोनों को बुलाया और सारी बात जानी ! उसने भी मेरी बात का समर्थन किया की खेलते वक्त कही गई बातों को दिल से नहीं लगाना चाहिए, और फिर वेह माफ़ी भी मांग रहा है, फिर भी अगर तुम दोनों अपने अहंकार की वजह से टीमका नुक्सान कराना चाहते हो तो तुम लोगों की मर्जी!लेकिन मैंने स्पस्ट कर दिया की यदि मेरा मित्र नहीं खेला तो मैं नहीं खेलने बाला !
अगले दिन मैच था, मैं रात भर सो नहीं पाया, एक तो अपनी जुबान की बजह से अपनेसबसे प्यारे मित्र को खोने का दुःख, फिर अपने सबसे प्यारे खेल से अलग होने का दुःख ! इतना बेचैनमैं अपनी तब तक की जिन्दगीमैं कभी नहीं हुआ था !यही सब सोचते – सोचते न जाने कब नींद लग गई और सुबह हो गई ! सुबह मेरे उसी मित्र की आवाज़ मेरे कानों मैं पड़ी, अबे सोता ही रहेगा कीउठेगा भी, मैच खेलने चलना है की नहीं, मेरे सामने मेरा मित्र तैयार खड़ा था, मैं उसे देख रहा था, अबे देखता ही रहेगा की चलेगा भी, उठ तैयार हो, आज तुझे ही मैच जिताना है !मैंने उठ कर उसे गले लगा लिया, मन को एक अजीब सी शांति मिल रही थी, मैंने अपने खोये हुए दोस्त को फिर से पा लिया था !
आज इस घटना को जब मैं याद करता हूँ तो पाता हूँ, भलेही मेरे मित्र ने उस बक्त मुझे माफ़ कर दिया हो, किन्तु गलती तो सरासर मेरी ही थी,हमें जज्वात मैं आकर अपने मित्रों को कभी भी ऐसे शब्द नहीं बोलने चाहिए जिसके लिए मेरी तरह से बाद मैं पछताना पड़े ! एक अच्छा मित्र बहुत मुश्किल से मिलता है, और हम अपनी वक्ती जूनून के चलते उसे भी खो सकते हैं ! दूसरी बात दोस्ती मैं कभी अहंकार को बीच मैं नहीं लाना चाहिए यदि गलती हुई है, तो उसे मान लेने मैं कोई छोटापन नहीं हैं !! यहीछोटी-छोटी बातें कभी कभी दोस्ती का खातमा कर देती हैं, यदि आपस मैं किसी भी बात को लेकर मित्र से गलत फ़हमी हो जाए तो उससे बात करने मैं ही बेहतरी है ! बातचीत से कोई भी मसला हल किया जा सकता है, ख़ास तौरसे दोस्तों के बीच का !अंत मैं रहीम जी के एक दोहे के साथ अपना लेख ख़त्म करना चाहूँगा जो की हर युग मैं सार्थक है !
“रहिमन धागा प्रीत का जिन तोड़ो चटकाय”
तोड़े से फिर न जुड़े, जुड़े गाँठ पड़ जाय !”
अथार्तदोस्ती एक नाजुक धागे की भांति होती है, दोस्ती के इस नाजुक धागे को कभी टूटने नहीं दें, यदि एक बार यह टूट गया तो फिर जुड़ नहीं सकता, और अगर जुड़ेगा भी तो उसमें गाँठ अवश्य पड़ जायेगी !
i need a friend hi mis. i am basudeochouhan and i would like to friendship with you.i want to joinfriedship can u join me your friend list.can be my friend
Tahir, kishor, Pradeep,HRS, Mahen, Archana, Thank you so much for your comments…
@ Basudev, Thanks for sharing your story… it’s v touchy..
muja gril friend chai
वास्तब में कहा जाये तो इन्सान के ज़िन्दगी में दोस्ती अहम् भूमिका होती है ज़िन्दग में आगे बढ़ने के लिए एक असल दोस्त की जरुरत है l और कुछ दोस्त ऐसे होते है की जिनके बिना ज़िन्दगी एक पल काटना भी बड़ी मुस्किल होता है l
दीपक बिबस पोख्रेल
इ मेल दीपकबीबस@जीमेल.कॉम
मोबाइल न. +918979777399
Na jane kyo dosti bina jindagi adhuri hoti h ye mai bhut ache se janti hu or aaj padkr bhut achcha lga or sath hi bhut kuch yad v aa gyi………………
मुझे भी कुछ कहना है…..
आम जिन्दगी से जुड़ी हर तरह की बातें
दोस्त और दोस्ती के लिये…
हां जी हां!! जानती हूं कि आज मित्रता दिवस नही है, लेकिन दोस्त और दोस्ती एक दिन के लिये तो नही होती ना! बल्कि हमेशा के लिये होती है तो आज कुछ पन्क्तियां दोस्त और दोस्ती के लिये…
” उलझन मे हूं, या दुख मे मै,
दोस्त है मेरा, फ़िक्र करेगा!
दूर है फ़िर भी भूलेगा ना,
कभी तो मेरा जिक्र करेगा! “
————
” दुनिया में कहीं भी होता हो मगर,
दोस्त का घर दूर कहाँ होता है!
जब भी चाहूँ आवाज लगा लेता हूँ,
वो मेरे दिल मे छुपा होता है!
जाने कैसे वो दर्द मेरा जान लेता है,
दुखों पे मेरे वो भी कहीं रोता है!”
—————–
“यूं तो कहने को परिवार, रिश्तेदार साथ हैं, जिन्दगी बिताने को,
फ़िर भी एक दोस्त चाहिये, दिल की कहने- सुनने, बतियाने को!! “
——————-
” हर कोई ऐसा एक मित्र पाए,
जो बातें सुनते थके नही,
और मौन को भी जो पढ जाए!! “
———————
” पुराने दोस्त और दोस्ती हमारे पुराने गांव की तरह होते हैं.. बरसों बाद जब हम फ़िर उनसे मिलते हैं तो कुछ बदल जाते हैं, लेकिन बहुत कुछ पहले की तरह ही होते हैं.. “
———-
** और अब कुछ पन्क्तियां और, जो किसी मित्र से ही कही जा सकती है.:) किसी बात पर मैने अपने मित्र से कही थी….
” आत्म ज्ञान से इतना भी तृप्त मत हो जाइये कि और कुछ जानने कि ख्वाहिश ही न रहे,
गर्व से इतना भी मत बिगड़ जाईये कि सुधार की गुंजाइश ही न रहे!! “
” ज्ञानी होने ( दिखने) के चक्कर मे जमाना tense बहुत है,
हम तो कहेंगे,
सबसे उपर रहने के लिये common sense बहुत है!! “
” किसी की बात समझ न सको तो इतना न बौखलाइये!
बेहतर है आप अपनी समझ को समझाइये!! “
———————
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* अश्रेणीबद्ध
on जनवरी 12, 2011 at 10:12 अपराह्न टिप्पणियाँ (25s)
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25s टिप्पणियाँLeave a comment
1.
On जनवरी 13, 2011 at 1:06 पूर्वाह्न Sehar said:
Priya sakhi Rachana ji…
aapki kavita waqai jhanjodne wali aur dost ke liye pyaar aur mohabbat se bhari nazar aayee…
bahut nek aur sahi baat kahi hai …aaj bhi bahuton ko mitra, dost hone ka tarika maloom nahi hai ya phir oonki apeksha dost ki paribhasha se bahut dur rehati hai…ye ek sahi anubhav hai sabhi ke liye…
dheron daad kabool farmayein
aur likhti rahein…iske liye koi khas divas nahi hota 😉
Khush rahein
Dawn
Reply
*
On दिसम्बर 29, 2011 at 10:02 पूर्वाह्न pardeep said:
waha kya kavita likhhi h aapny…..
Reply
2.
On जनवरी 13, 2011 at 8:44 पूर्वाह्न loksangharsha said:
nice
Reply
3.
On जनवरी 13, 2011 at 10:16 पूर्वाह्न अनूप शुक्ल said:
बहुत अच्छा लग रहा है आपकी पोस्ट लगातार आते देखना। 🙂
” उलझन मे हूं, या दुख मे मै,
दोस्त है मेरा, फ़िक्र करेगा!
दूर है फ़िर भी भूलेगा ना,
कभी तो मेरा जिक्र करेगा! “
इसे पढ़कर मुझे वली असी का यह शेर याद आ गया:
मैं तुझ भूल भी जाऊं लेकिन
तू मेरी फ़िक्र से आजाद नहीं हो सकता
ये क्या आपने हमको भी ध्यान में रखते लिखा है?
” ज्ञानी होने ( दिखने) के चक्कर मे जमाना tense बहुत है,
हम तो कहेंगे,
सबसे उपर रहने के लिये common sense बहुत है!! “ ऐसा इसलिये लिखा कि कामनसेंस का टोटा इधर भी है।
बहुत अच्छा है। लिखतीं रहें नियमित! 🙂
Reply
4.
On जनवरी 22, 2011 at 11:32 पूर्वाह्न amit maida said:
dost bahut pyare hote he meri zindgi ko dost ne savara he
Reply
5.
On मार्च 5, 2011 at 10:55 अपराह्न dr. rahul said:
kisi bhi problem me he any time koi bhi problem call me 09827921818
Reply
6.
On मार्च 24, 2011 at 12:20 अपराह्न Sameer Khan said:
Very nice
Reply
7.
On मार्च 26, 2011 at 4:44 अपराह्न Manish Kumar said:
aaj hi ye post padh
और मौन को भी जो पढ जाए!!
hmm ye to sahi kaha aapne
Reply
8.
On अप्रैल 2, 2011 at 12:31 अपराह्न chahat singh said:
dusro se to har koi lena chahata h lekin jo dusro ke liye kare or khud kuch na chahe vo h dosti.
Reply
9.
On अप्रैल 12, 2011 at 5:23 अपराह्न रचना said:
बहुत शुक्रिया दोस्तों ! 🙂
Reply
10.
On मई 17, 2011 at 2:39 अपराह्न TAHIR KHAN,PUTTHA(MEERUT). said:
apne liye to sab jete he lakin jo dosti me sub kuch kurban kar de vo sachhe dosti he.or hamesha dosto ki madad kare.vo dosti he.vo dosti nahi he jo apne bhale ke liye.dosto ke bare me kuch na soche.
TAHIR KHAN(MEERUT)
Reply
11.
On जून 27, 2011 at 8:17 अपराह्न kishor kumar raja said:
armano ki sej par dosti ne karwat li hai
aap ke dost ne aap ko ye kasam di hai
juda ho ke bhi juda na hona
warna log kahenge
ek dil ne dhadkan ki jan li hai
kuch khoye bina hamne paya hai
kuch mange bina hame mila hai
naj hai hame apni takdir par
jishne aap jyse dost se milaya hai
dil ko kharidne wale hajar mil jaynge
aap ko daga dene wale bar bar mil jayenge
milega na aap ko ham jaesa koi
milne ko to dost besumar mil jayenge
hai dosto mera nam kishor raja hai
Reply
12.
On जुलाई 6, 2011 at 5:24 अपराह्न pradeep kumar said:
aatm gyan se etna ….. very good
Reply
13.
On जुलाई 13, 2011 at 6:00 अपराह्न HR SUTHAR PHALODI (RAJ)9828350812 said:
agr kisi pr bhrosa kro to aakhir tak kro aant mai aapko ek sacha ‘DOST’ milega ya firek ‘SABAK’HR SUTHAR 2.dosti ko pana hr kisi ke naseb ma nhi hota, aasman ko chuna hr kisi ki kismat ma nhi hota, na koi aasma dekhta ha or na koi dosti is jnha mai to yaaro sub aasma ma ‘BADAL, or dosti ma ‘BADAN’ dekhte hai (its true)i like your story and i pree my god you are best friend for friendship sorry for the true line
Reply
14.
On जुलाई 13, 2011 at 6:02 अपराह्न HR SUTHAR PHALODI (RAJ)9828350812 said:
agr kisi pr bhrosa kro to aakhir tak kro aant mai aapko ek sacha ‘DOST’ milega ya firek ‘SABAK’HR SUTHAR 2.dosti ko pana hr kisi ke naseb ma nhi hota, aasman ko chuna hr kisi ki kismat ma nhi hota, na koi aasma dekhta ha or na koi dosti is jnha mai to yaaro sub aasma ma ‘BADAL, or dosti ma ‘BADAN’ dekhte hai (its true)i like your story and i pree my god you are best friend for friendship sorry for the true line HR SUTAR PHALODI
Reply
15.
On जुलाई 22, 2011 at 11:10 अपराह्न Mahen Vvyas said:
बहुत अच्छा लखिते हो……….. आपकी कुछ पक्तियां मैंने अपने दोस्त को भेजी है, इसके लिए क्षमा क्योकि कि वो केवल आपकी पक्तियां थी…. लेकिन मुझे बहुत अच्छी लगी इस लिए अपने दोस्त से सैयर करने का मन कियाा धन्यवाद यूंिह लखिते रहीए ताकि हमें ऐसी ही अच्छी अच्छी पक्तिया मिलती रहे
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On अगस्त 6, 2011 at 3:35 अपराह्न ARCHANA KUMARI said:
बहुत अच्छा लखिते हो……….. आपकी कुछ पक्तियां मैंने अपने दोस्त को भेजी है, इसके लिए क्षमा क्योकि कि वो केवल आपकी पक्तियां थी…. लेकिन मुझे बहुत अच्छी लगी इस लिए अपने दोस्त से सैयर करने का मन कियाा धन्यवाद यूंिह लखिते रहीए ताकि हमें ऐसी ही अच्छी अच्छी पक्तिया मिलती रहे
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On अगस्त 7, 2011 at 9:15 पूर्वाह्न basudeochouhan said:
आपने मित्रता को लेकर बहुत अच्छी कविता लिखा है ।मै तुम्हारा दोस्त बन गया ।
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On अगस्त 7, 2011 at 9:41 पूर्वाह्न basudeochouhan said:
मैने भी तुम्हारे द्वारा लिखे कविता के कुछ लाईने मैने अपने दोस्तो को भेजा है ।मै भी तुम्हारे लिये कुछ लाईन लिखता हूँ मित्रता एक ऐसा बंधन है जोलोगों के मनों को जोड़ता है, यह एक ऐसा बंधन है जो कि सामाजिक रूप से हम पर थोपा नहीं जाता ! ये एक ऐसा रिश्ता है जो अन्य रिश्तों की भांति बाध्य नहीं, जैसे भाई – भाई का रिश्ता, भाई – बहिन का रिश्ता या कोई अन्य रिश्ता जो सामाजिक बंधनोंसे उत्पन्न होता है ! मित्रता इंसान खुद अपने विवेक से और अपने दिल से करता है, इसलिए ये रिश्ता ज्यादा गहरा होता है !! आज इस अवसर पर मैं सोचने बैठातो मुझे अपने अतीत के झरोखे से अपने एक ऐसे ही मित्र की याद आई, और उसी मित्र से जुडी एक अनोखी घटना भी याद आई जो आप सबकेसामने प्रस्तुत कर रहा हूँ !बात उन दिनों की है जब मैंकिशोर था, मुझे क्रिकेट काबचपन से ही शौक था, और अपने मोहल्ले के क्रिकेट क्लब का मैं बहुत ही महत्त्वपूर्ण खिलाडी हुआ करता था, मैं किसी भी हालतमैं अपनी टीम को जीतते हुएदेखना चाहता था उसके लिए मैं पूरे मनोयोग से खेलता था, मेरे खेल की बजह से पूरी टीम मैं मेरी धाक हुआकरती थी ! सभी खिलाड़ी मेरेखेल के खासे प्रशंशक थे !हम सभी आपस मैं बहुत अच्छेमित्र हुआ करते थे, मगर उनमें से मेरा एक मित्र मेरा बहुत ही ख़ास था, हम दोनों बचपन से जबसे मैंने होश संभाला तबसे एक साथ हीसमय गुजारते थे, स्कूल मैंभी हम दोनों एक ही कक्षा मैं पढ़ते थे, यदि एक दिन भी हम एक दूसरे से न मिलेंतो बहुत ही खालीपन सा महसूस होता था ! कहने का तात्पर्य ये की उस समय उसके बिना मेरी जिन्दगी कुछ नहीं थी!
एक दिन एक टूर्नामेंट मैं हमारी टीम एक मैच खेल रही थी, मैच बहुत ही महत्त्वपूर्ण था,था, सामने बाली टीम की बल्लेबाजी हो चुकी थी, अब हम लोग बल्लेबाजी कर रहे थे, मगर हमारी स्तिथि कुछ ज्यादा अच्छी नहीं थी, मैं क्रीज पर जमा हुआ था, हमारे ऊपर के अच्छे बल्लेबाज आउट हो चुके थे,, अब मेरा वही ख़ासमित्र बल्लेबाजी करने उतरा मैंने उसके कंधे पर हाथ रखकर उसे समझाया की तुम आराम से खेलना हम दोनों मिलकर मैच जितवा देंगे, वेह भी मेरी अंत तकन हारने की आदत से बाकिफ था, उसने सहमति जताई, धीरे – धीरे हम दोनों रन बनाते रहे आगे बढ़ते रहे, मैं मनमैं ठान चुका था की आज का मैच जीत कर ही बापस जाऊंगा! मगर क्रिकेट खेल ऐसा है जिसपर किसी का वश नहीं चलता, खिलाडी कुछ नहीं होता खेल सबसे ऊपर होता है, और यहाँ भी क्रिकेट नेअपना खेल दिखाया, मेरे दोस्त ने एक शोट खेला वहांपर 1 रन हो सकता था मैं रनलेने के लिए भागा, किन्तु फील्डर की अच्छी फील्डिंगदेखकर मेरा मित्र रन नहीं भागा, मैं काफी दूर निकल आया था फील्डर ने थ्रो गेंदबाज को दिया उसने मुझे रन आउट कर दिया ! मैं अपना धैर्य खो चुका था, मुझे अपने मित्र पर बहुत क्रोध आ रहा था, मैंने उसकी ओर देखकर चिल्ला कर कहा ” ये रन नहीं था क्या? दौड़ा क्यों नहीं ? पैरोंमैं मेहँदी लगा कर आये हो क्या साले ? और भी न जाने क्या – क्या बकता जा रहा था, वेह अवाक मुझे देख रहाथा ! अब साले खुद भी आउट होकर मैच हरवा कर चले आना ! ये कहकर मैंने गुस्से मैं अपना बल्ला उसी के सामने पिट्च पर फ़ेंक दिया , और अनाप-शनाप बकता हुआ चला आया ! दूसरी टीम के सारे खिलाड़ी मेरे गुस्से और मेरे मित्र की बेबसी देख कर मुस्कुरा रहे थे !
हमारी टीम का अगला खिलाड़ी तब तक फील्ड मैं पहुँच चुका था, जो काफी समझदार था वेह विना बल्ला लिए ही अन्दर पहुंचा और मेरे फेंके बल्ले को उठा लिया, और मेरे मित्र के कंधे पर हाथ रखकर कहा, NVER MIND उसने बल्ला इसलिए यहाँ छोड़ा क्योंकि मैंने इसी बल्ले से खेलने की मंशा जाहिर की थी ! यहाँ जैसे ही मैं फील्ड से बहारआया मेरे कप्तान ने मुझे बहुत लताड़ा, यार ये कैसा व्यवहार कर रहे थे फील्ड मैं, तुम्हे ऐसा नहीं करना चाहिए था ! हालांकि क्लब स्तर पर कोई अनुशाशन समिति नहीं होती मगर खेल एक ऐसी चीज है, जो इंसान को खुद ही अनुशाषित करती है!अब तक मेरा गुस्सा भी कुछ कम हो चुका था, और मैं कप्तान कि बातों पर कुछ भीनहीं कह रहा था, सिर्फ सुनरहा था, क्योंकि अब मुझे भी अपनी गलती का एहसास हो रहा था, कि शायद मैंने आज कुछ ज्यादा ही जेहर उगल दिया ! खैर मैच आगे बढ़ा न जाने क्यों मेरे दोस्त ने मेरी बातों को चुनौती के रूप मैं लिया और उसने उस दिन ऐसी बल्लेबाजी की जैसी उसने कभी नहीं की थी! और उसने हमें वेह मैच जितवा दिया !जीत के साथ ही हम सब उससे लिपट गए, और मैं उसमें सबसे आगे था, मगर न जाने क्यों वेह आज मुझे क्यों गले नहीं लगाना चाहता था, उसने अपनेआपको जल्दी से मुझसे अलग किया और खिलाडियों के साथ ख़ुशी मनाने लगा !मैच ख़तम होने के बाद हम सब ख़ुशी – ख़ुशी अपने घर वापस चल दिए! टूर्नामेंट मैं हमें अभी आगे भी महत्तवपूर्ण मैच खेलने थे, सो हम लोगों ने शाम के अभ्यास करने का फैसला किया ! अभ्यास मैं हम दोनों साथ – साथ ही जाया करते थे, और हमेशा कि तरह मैं उसके घर पहुंचा उसे लेने के लिए मगर उसकी मा ने बताया कि वेह घर पर नहीं है !! मैं अकेला ही मैदान पहुँच गया, ये बात मैंने अपने कप्तान को जाकर बताई, तो उसने कहा किकहीं गया होगा इसलिए नहीं आ सका ! हमारा अगला मैच जो कि सेमी फायनल था ३ दिन बाद था ! और हम उसे किसी भीकीमत पर जीतना चाहते थे, उस दिन मेरे मित्र के न आने कि बजह से मेरा मन अभ्यास मैं बिलकुल नहीं लग रहा था !
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On अगस्त 7, 2011 at 10:04 पूर्वाह्न basudeochouhan said:
भ्यास ख़तम करने के बाद मैं अपनी आदतानुसार फिर अपने मित्रके यहाँ पहुंचा, हम दोनों शाम हमेशा एक साथ ही गुजारा करते थे ! मगर आज उसने बहाना बनाकर मुझे टाल दिया बोला, आज मेरी तबियत कुछ ख़राब है, इसलिएमैं नहीं जा सकता तुम अकेले ही चले जाओ ! मुझे लगा कि वेह मुझसे कुछ कट सा रहा है, मैं चुपचाप वापस चला आया मगर मेरा मन बड़ा ही व्यतिथ हो रहा था!अगली सुबह अभ्यास मैं मेरा मित्र फिर नहीं आया, कप्तान ने मुझे बताया कि वेह मेरा पास आया था, और उसने कहा कि वेह अगला मैच नहीं खेल पायेगे उसे किसी जरुरी काम से बाहर जाना है! मैंने कहा ऐसा कौन सा काम है जो वेह मैच नहीं खेल रहा और बाहर जा रहा है, और मुझे बताया भी नहीं! यही कुछ सवाल लेकर मैं, उसके घर पहुंचा!मैंने आंटी से मित्र के बारे मैंपूछा कहाँ है, आंटी वेह बहार जा रहा है, ऐसा क्या काम आ गया ? नहीं, बेटा मुझे तो नहीं मालूम वेह कहाँ जा रहा है, दो दिन से कुछ खोया – खोया सा है ! ठीक से खा भी नहीं रहा है! और आज उसने मुझसे कहा कि टीम का कोई खिलाड़ी आये तो कहना मैं घर मैं नहीं हूँ ।और ख़ास तौर से कहा है किअगर सचिन आये तो मा बिलकुलभी नहीं बताना कि मैं घर मैं हूँ ! क्या बात है बेटा, तुम्हारे बीच कोई बात हुई है क्या ? या फिर खेल मैं उसे कहीं चोट तो नहीं लगी ? चोट लगी हैं आंटी, बहुत गहरी चोट लगी है! मुझे समझते देर नहीं लगी कि आखिर बात क्या है ! मैं दौड़कर उसकी छत पर पहुंचा,, जहाँ वेह चुपचाप उदास सा बैठा हुआ था ! क्यों बे अभ्यास मैं क्यों नहीं, आ रहा ? और तू कहाँ जा रहा है, अगला मैच नहीं खेलेगा, कप्तान ने मुझे बताया ! ऐसे कई सवाल मैंने उससे कर दिए ! शायद वेह इनका जवाव नहीं देना चाहता था, किन्तु आखिर वेहअपने आप को नहीं रोक सका!बोला तूने मुझे उस दिन मुझे इतना भला बुरा क्यों कहा ? मैं चाह कर भी तेरी बातें भूल नहीं पा रहा हूँ, तू अपने आप को मेरा सबसे अच्छा दोस्त कहता है,दोस्त के साथ कोई ऐसा सलूककरता है ? तू मेरा दोस्त नहीं है ! मैं तेरे साथ अब कभी नहीं खेलूँगा, न ही कभी तुझसे मिलूँगा ! आज सेभाड़ मैं गई तेरी झूटी दोस्ती और भाड़ मैं गया तू!साले गुस्से मैं तू सब कुछ भूल गया ! सारे खिलाड़ी मुझ पर हंस रहे थे,तेरी बजह से ! मैं चुपचाप उसकी बाते सुनता रहा क्योंकि गलती तो मैंने कि थी, और अब बारी उस गलती को सुधारने कि थी !
उसके चुप होने के बाद मैंने अपनी बात शुरू की ”अबे तू उस बात पर अब तक नाराज़ है, यार मैं उस बात के लिए तुझसे माफ़ी मांगता हूँ, तू कहेगा तो सारी टीमके सामने माफ़ी मांग लूँगा! मगर इस बात को लेकर तू इतना दुखी मत हो यार, यार मैदान मैं मैं एक खिलाड़ी था, और उस वक्त जो कुछ कहा उस खिलाड़ी ने कहा तुम्हारे दोस्त ने नहीं !क्या तुम्हारी गलती नहीं थी ? मैं मैच जितवाना चाहता था यार ! मैंने जो भी किया एक खिलाड़ी के तौर पर किया न की दोस्त के तौरपर, और उस बात के लिए मुझे अफ़सोस भी है ! तुमने ऐसा क्यों सोच लिया की मैं तुम्हारा दोस्त नहीं हूँ, तू मेरा सबसे अच्छा दोस्त था, और रहेगा ! तूने कहा कीतू मेरे साथ नहीं खेल सकता, तो आज से मैं भी क्रिकेट खेलना छोड़ता हूँ, उस खेल का क्या फ़ायदा जो दोस्त दो ही जुदा कर दे ! मेरी बातें मेरे दोस्त की कुछ- कुछ समझ मैं आ रहीं थीं ! मैंने उससे अपने व्यवहार पर फिर माफ़ी मांगी और उससे बिदा ली ! वेह जानता था मैं जिद्दी हूँ मैंने भी दूसरे दिन सेक्रिकेट न खेलने का फैसला लिया !हम दोनों को अभ्यासमैं न पाकर कप्तान का माथाफिर गया, उसने हम दोनों को बुलाया और सारी बात जानी ! उसने भी मेरी बात का समर्थन किया की खेलते वक्त कही गई बातों को दिल से नहीं लगाना चाहिए, और फिर वेह माफ़ी भी मांग रहा है, फिर भी अगर तुम दोनों अपने अहंकार की वजह से टीमका नुक्सान कराना चाहते हो तो तुम लोगों की मर्जी!लेकिन मैंने स्पस्ट कर दिया की यदि मेरा मित्र नहीं खेला तो मैं नहीं खेलने बाला !
अगले दिन मैच था, मैं रात भर सो नहीं पाया, एक तो अपनी जुबान की बजह से अपनेसबसे प्यारे मित्र को खोने का दुःख, फिर अपने सबसे प्यारे खेल से अलग होने का दुःख ! इतना बेचैनमैं अपनी तब तक की जिन्दगीमैं कभी नहीं हुआ था !यही सब सोचते – सोचते न जाने कब नींद लग गई और सुबह हो गई ! सुबह मेरे उसी मित्र की आवाज़ मेरे कानों मैं पड़ी, अबे सोता ही रहेगा कीउठेगा भी, मैच खेलने चलना है की नहीं, मेरे सामने मेरा मित्र तैयार खड़ा था, मैं उसे देख रहा था, अबे देखता ही रहेगा की चलेगा भी, उठ तैयार हो, आज तुझे ही मैच जिताना है !मैंने उठ कर उसे गले लगा लिया, मन को एक अजीब सी शांति मिल रही थी, मैंने अपने खोये हुए दोस्त को फिर से पा लिया था !
आज इस घटना को जब मैं याद करता हूँ तो पाता हूँ, भलेही मेरे मित्र ने उस बक्त मुझे माफ़ कर दिया हो, किन्तु गलती तो सरासर मेरी ही थी,हमें जज्वात मैं आकर अपने मित्रों को कभी भी ऐसे शब्द नहीं बोलने चाहिए जिसके लिए मेरी तरह से बाद मैं पछताना पड़े ! एक अच्छा मित्र बहुत मुश्किल से मिलता है, और हम अपनी वक्ती जूनून के चलते उसे भी खो सकते हैं ! दूसरी बात दोस्ती मैं कभी अहंकार को बीच मैं नहीं लाना चाहिए यदि गलती हुई है, तो उसे मान लेने मैं कोई छोटापन नहीं हैं !! यहीछोटी-छोटी बातें कभी कभी दोस्ती का खातमा कर देती हैं, यदि आपस मैं किसी भी बात को लेकर मित्र से गलत फ़हमी हो जाए तो उससे बात करने मैं ही बेहतरी है ! बातचीत से कोई भी मसला हल किया जा सकता है, ख़ास तौरसे दोस्तों के बीच का !अंत मैं रहीम जी के एक दोहे के साथ अपना लेख ख़त्म करना चाहूँगा जो की हर युग मैं सार्थक है !
“रहिमन धागा प्रीत का जिन तोड़ो चटकाय”
तोड़े से फिर न जुड़े, जुड़े गाँठ पड़ जाय !”
अथार्तदोस्ती एक नाजुक धागे की भांति होती है, दोस्ती के इस नाजुक धागे को कभी टूटने नहीं दें, यदि एक बार यह टूट गया तो फिर जुड़ नहीं सकता, और अगर जुड़ेगा भी तो उसमें गाँठ अवश्य पड़ जायेगी !
Nice
dosti very good relasation
good relasation is frinds 9319721107
ज्ञानी होने ( दिखने) के चक्कर मे जमाना tense बहुत है,
हम तो कहेंगे,
सबसे उपर रहने के लिये common sense बहुत है!!
सबसे अच्छी लाइन है लाजवाब
very good
achha hai
nice as always
dost..
jo humari khushi janta hai
humai khamoshoyo ko pdta h
dost
jo humar galti hne par hume samjaye
“tu sahi hai yar///parr…”
dost
jo humarei ankho me aanmsu ni dek skta
humari khishi k liye sbse zgdge
dost
jo
zarurat k waqt usse dhundna ni pdta
zindgi k hr mod pr vo sah hai rheta
j
b khede hum usse
“mai thik hu”
aur vo kahe ki…
“nahi bolna chahta to thik hai/…
par muje bole bina kb tak rahe payega???”
aap ki kuch lines maine post ki hai …muje bhi apne dost ko aisa hi kuch kahna tha …per aapka name nahi aaraha hai isliye sorry
it is nice
बहुत बढिया विचार हे आपके
Jab DOSTI ki DASTAAN WAQT SUNAYAGA
Tab hum KO BHI Koi shaks YAAD AYEGA
Hum BHUL JAYEGE ZINDGI KE GAMO KO
Jab dost KE SAATH GUZRA HUWA WAQT YAAD AYEGA
मै नौकरी कर हूँ मै अपने दोस्तों से दूर हूँ पर आपकी कविता ने उन दोस्तों की याद दिला दी जिनके लिए मै अपने आप को न्योसावर कर दू
I love you
Dosto
दोस्ती का प्यारा रिश्ता , जग में सब से प्यारा रिश्ता ,
ख़ून के रिश्ते से ज़्यादा, स्थायी रहता है यह रिश्ता!
कविता
दोस्त की विदाई
एक वो दिन था जब मुझे तेरा साथ मिला था,
मेरे इन अकेले हाथों को एक दोस्त का हाथ मिला था ।
यह शहर अनजान था मेरे लिये , यह भी आसान बन गया,
अब अकेला ना था में यहाँ , तू मेरी पहचान बन गया ।
साथ में आफिस आना जाना , साथ में करना काम था,
दिन भर अपना साथ था , साथ सुबह और शाम था ।
इस सफर की शुरुआत हमनें साथ की थी,
जान से प्यारे यार के साथ कितनी बात की थी ।
जिंदगी के उन पलों को भी हमने जिया था ,
जिन पलों ने खुशी और गम दोनों से मुलाकात की थी ।
वो लम्हें जो मेरी जिंदगी के अनमोल पल बन गये ,
वो लम्हें जो मेरे गुजरे हुए कल बन गये ।
काश इन लम्हों को मैं फिर से जी पाता ,
वो लम्हे जो मेरी नम आंखों का जल बन गये ।
वो लम्हे जो अब लौट के आ नहीं सकते ,
वो लम्हें जहाँ हम चाह के भी जा नहीं सकते ,
अपने यार की बात हम बिना कहे जान लेते थे,
सेम फ्रिक्युवेंसी पर टेस्ट काल देते थे ( टेस्टिंग 1,2,3….3,2,1)।
वो लम्हें जो धुंधली सी याद बन गये ,
वो लम्हें जो एक यादगार किताब बन गये ।
मजे से तेरे साथ आफिस आया करते थे ,
कभी पीछे बैठते थे, तो कभी बाइक चलाया करते थे ।
मैं यह जानता हूँ के ये पल लौट के ना आयेंगे ,
पर एक गुजारिश है मेरे दोस्त ,
इन लम्हों को याद बना के अपने साथ ले जाना ,
जहाँ भी तुम रहो वहाँ के दोस्तों को ये सुनाना ।
मैं भी इन लम्हों को अपने दिल में बसा लूंगा ,
जब याद आयेगी तेरी तो नम आंखों से मुस्कुरा लूंगा ,
तेरा चेहरा याद करके सुकुन पा लूंगा ।
यह कविता मेरे दोस्त मंजिन्दर सिन्ह की याद मेंं लिखी गई है ।
Nice line
Ji m kuch jya nhi khuga lekin dost nhi to dard dil m hi eh jata h Aaj vo nhi h mere sath to ajib lgta h kabhi hamse kha karta the ki dost sath jiy g or sath mareg lekin vo muge akela chod gya kyo jut bolta tha mera dost har khusi mera name lekar mnata tha khta tha y mere dost k name vo mere dost k har jgah har par vo muje age kar deta tha or muje uski khusi k ley har jgah age hone ki jaldi thi jha vo dat khata vha m age hota or jha vo nek kam karta to duniya ko m btata ki vo dekho vo mere dost h jo kisi ki madat kar rha h fir bhi vo muje chod kar chla gya kya guna kiya tha mene jo vo muje akela chod diya usne jab bhi kisi ko m apno k liy ladty dekhta hu to muje mera dost njar aata h muje aaj bhi vo din yad aata h jab sharma ankal ne muje bachpan m bol se kach fit jane par ek chata mar diya tha or fir m bhar gya to mere dost ne pucha ki tera gal lal kyu ho rha h itna sunty hi dusre ladke hasne lge or khne lge ki use ankal ne mara h or kya itna sunty hi use un ldko par bet se marna suru kar diya or sharma ankal ke sare kach ko fod diya or khne lga agar mere dost ko kisi ne hath bhi lgaya to use m mar daluga y meri jan h yarr hi mere jindgi h or kisi nebhi use mara to use m jan se mar duga lekin kha h vo jab aaj muje koi chllata h or hmesha apman karty h kha h tu tu to kheta tha ki me teri jan hu to fir tu or tera jism kha aaj ylog teri jan ko bura khty h ki dusro ki mdat krega to khud kya khay ga y muje hmesha datty h dost tu kha h dost mery madat kar muje tery jrurat h dost aaj dost aaj fir muje teri jarurat h 😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😥😥😥😩😩😩😩👻👻
मुझे एक जवाब का उत्तर चाइये की अगर हमें दोस्ती को प्यार में बदलना हो तो हमें क्या करना चाइये की जो सामने इंसान है बो प्यार को छोड़कर हमारा पहले जैसा अच्छा दोस्त बन जाये प्लज़्ज़ मुज्ज उत्तर दीजिये
bahut sunder
bahut sundar
बहुत सुंदर रचना जी👌
आपकी इस कवीता पर निकले यह मन के मेरे उद्गार…
“अज़ीज़ है मुझे हर शह से कवीता आप की
उतर गयी मेरे दिल में सादगी आप की ।
कभी पड़े न उदासी का आप पर साया
और आंसुओं में न बदले कभी हंसी आप की।।”
दोस्तों की महफ़िल में शायराना सजाना मेरा इक शौक था,
कुछ दोस्तों की सुन कुछ अपनी सुनाना भी इक शौक था ।
अब शांत से बैठे हैं शायरों की कमी के कारण……
कवीता लिख पढ़ उन्हें सुनाना कभी मेरा इक शौक था।।
Super hai super