आज, अभी ये पल है अपना,
क्या होगा कल किसे पता है..
कर्म करें, ये धर्म है अपना,
क्या होगा फल किसे पता है..
जीवन है तो सुख -दुख होंगे,
कितने, कब -कब, किसे पता है..
जीवित हैं तो मृत्यु होगी,
किस पल होगी किसे पता है …..
सपने देखो, सब कहते हैं,
सच भी होंगे किसे पता है…
जो होना है, वो होता है,
होना क्या है किसे पता है…
आपकी यह रचना कल गुरुवार (04-07-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
बहुत खूब … सभी शेर लाजवाब हैं आपके …
Thank you Both ! 🙂
शब्द बड़े सरल पर अर्थ बड़े ही गूढ़ …..