पोस्टकार्ड!!

अन्तर्जाल के इस युग मे डाकिया और डाक तो अब भी आती है, लेकिन पत्र नही आते.. लेकिन कुछ दिनों पहले मेरे नाम से एक पोस्टकार्ड आया! पत्र कई सौ मील दूर से आया था! लिखावट और भाषा से लगा कि किसी वृद्ध सज्जन ने लिखा है.पत्र मे मेरी लिखी दो रचनाओं की जमकर तारीफ़ की गयी थी.:) कुछ देर मै असमन्जस मे रही कि मेरी ये रचनायें इन्होने कहां पढ लीं! (  ब्लॊग पर ये रचनायें हैं, लेकिन जाहिर है ब्लॊग पर पढ कर कोई पत्र से प्रतिक्रिया नही देता! ) फ़िर मुझे याद आया कई दिनो पहले मुझे एक इ-मेल मिला था और मुझसे मेरे ब्लॊग पर लिखित दो रचनाएं किसी पत्रिका मे छापने के लिये अनुमति मांगी गयी थी… मेरा बायोडेटा भी मांगा गया था, लेकिन मैने कुछ उल्लेखनीय किया हो तो बताती.. मैने अनुमति दे दी और साथ मेरा नाम और ्पता ( प्रामाणिकता के लिये कि, हां! मै कोई हूं और कहीं रहती हूं 🙂 ) लिख देने को कहा.
..उसी पत्रिका मे मेरी रचनाएं इन सज्जन ने पढी थी और प्रतिक्रिया मे पत्र लिखा था.. वे मेरा फ़ोन नम्बर भी जानना चाह रहे थे.. अपना नम्बर उन्होने दे रखा था, सो सामान्य शिष्टाचार वश मैने उन्हे धन्यवाद कहने को फ़ोन किया…. वे बेहद खुश हो गये… पता चला उनकी उम्र ७६ वर्ष है और मेरी कविता “वृद्ध” उन्हे बेहद पसंद है… वे कई बार अपने हम उम्र मित्रों को सुना चुके हैं और उनके किसी मित्र को तो ये आप बीती लगी और उनके आंसू निकल गये… उन्होने मुझसे मेरी और भी रचनाएं मांगी.. मैने उन्हे अपने ब्लॊग का पता दिया तो वे नाराज हो गये, कहने लगे उन्हे ये आजकल का अन्तर्जालीय संवाद पसंद नही!! हालांकि उनके घर मे उनके बच्चे इसका इस्तेमाल करते हैं! उन्हे प्रिन्ट मे मेरी कविताएं चाहिये!
. मैने तो अपनी कवितायें या लेखन इतनी गम्भीरता से नही लिया.. बल्कि कई सारी कविताएं तो सिर्फ़ ब्लॊग पर ही हैं, अन्य कहीं लिख भी नही रखी मैने.. लेकिन अब लिखना होगा…
मुझे नही पता था कि मेरे शब्दो‍ की पहुंच इतनी होगी कि वे कभी इस उम्र के दिल को भी छू लेंगे…

Published in: on जुलाई 9, 2009 at 5:07 अपराह्न  Comments (7)  

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7 टिप्पणियां टिप्पणी करे

  1. अच्छी कविता और अच्छी रचनायें तो किसी का भी दिल छू सकती हैं …आप बहुत अच्छा लिखती हैं

  2. बहुत बधाई हो इस उल्लेखनीय उपलब्धि पर.

  3. रचनाजी, वृद्ध तो बेहद दिल को छूलेने वाली कविता है, लेकिन ये तो बहुत पहले लिखी गई है
    आपका गुनगुनाना भाता है
    लेकिन आपकी पहले जैसी दिल भिगोने वाली पोस्टों जितना नहीं

  4. बहुत बधाई आपको ।

  5. Yahi batein hain jo nirantar lekhan ko prerit karti hain. Aapki kavitayein bhasha ke bharamar jaal mein na ulajh seedhi sachchi batein kehti hain jinhein aam aadmi badi aasani se mahsoos kar sakta hai.

    Asha hai aisi prernayein aapko bhavishya mein bhi milti rahein ..

  6. jindagi me ye baate jab hoti hai to lagta hai ki hamne apna maandey pa liya…!

    bahut achchha laga padh kar di

  7. ॒ अनिल जी, समीर जी, विवेक जी, बहुत धन्यवाद!

    ॒ मैथिली जी, धन्यवाद आपकी टिप्पणी के लिये.. कोशिश करूंगी कि आपको निराश नही करूं.

    ॒ मनीष जी और कन्चन , बहुत धन्यवाद इतनी अच्छी बातें कहने के लिये!


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